". जैसे अपने वैसे सपने (our surroundings)

जैसे अपने वैसे सपने (our surroundings)




हम जिनके साथ रहते है वो हमे जीवन भर प्रेरित करते है ये आप सब जानते है कि हर इंसान चंदन नहीं होता कि उसके ऊपर जहरीले साप लिपटे रहे और वो वैसे के वैसे ही रहे।

कहावत है ना।

चन्दन विष व्यापत नहीं 

लिपटे राहत भुजंग

तो ऐसे में बहुत जरूरी होता है कि हम किनके साथ रह रहे क्योंकि हर साथ में रहने वाला व्यक्ति आपको अच्छी दिशा में प्रेरित करे ये आवश्यक नहीं होता ।ऐसे में कई बार हम अपनी ऊर्जा को खराब दिशा में मोड़ देते है और जो सफलता हम चाहते है वो हम नहीं मिल पाती क्योंकि आप जब भी कोई अच्छा और बड़ा काम करने जाते है या सोचते है तो कुछ लोग आपको पहले ही बोल देते है कि ये तुम कभी नहीं कर सकते और आप उन्हीं के जैसे हो जाते है और यही नकारात्मक प्रेरणा आप दूसरों को भी देना शुरू कर देते है 
इसीलिए आवश्यक है कि हम अपनी क्षमताओं को पहचाने अन्यथा कभी कभी शेर भी पिंजरे में रह रह कर अपनी शक्ति को भूल बैठता है।











एक जंगल में बरगद का पेड़ था. उस पेड़ के ऊपर एक चील घोंसला बनाकर रहती थी जहाँ उसने अंडे दे रखे थे. उसी पेड़ के नीचे एक जंगली मुर्गी ने भी अंडे दे रखें थे. एक दिन उस चील के अंडों में से एक अंडा  नीचे गिरा और मुर्गी के अंडों में जाकर मिल गया.

समय बीता अंडा फूटा और चील का बच्चा उस अंडे से निकला और वह यह सोचते बड़ा हुआ की वो एक मुर्गी है. वो मुर्गी के बांकी बच्चों के साथ बड़ा हुआ. वह उन्ही कामों को करता जिन्हें एक मुर्गी करती है. वो मुर्गी की तरह ही कुड़कुड़ाता, जमीन खोद कर दाने चुगता और वो इतना ही ऊँचा उड़ पाता जितना की एक मुर्गी उड़ती है. 


एक दिन उसने आसमान में एक चील को देखा जो बड़ी शान से उड़ रही थी. उसने अपनी मुर्गी माँ से पूछा की उस चिड़िया का क्या नाम है जो इतना ऊँचा बड़ी शान से उड़ रही है. मुर्गी ने जबाब दिया वह एक चील है. फिर चील के बच्चे ने पूछा माँ मैं इतना ऊँचा क्यों नहीं उड़ पाता। मुर्गी बोली तुम इतना ऊँचा नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम एक मुर्गे हो. उसने मुर्गी की बात मान ली और मुर्गे की जिंदगी जीता हुआ एक दिन मर गया. 


जो भी हम सोचते हैं या कुछ नया करने की कोशिश करते हैं तो दूसरे हमें यह कहकर रोकते हैं कि तुम ऐसा नहीं कर सकते, ऐसा नहीं हो सकता और हम अपना इरादा यह सोचकर बदल लेते हैं कि वाकई मैं यह नहीं कर सकता और हार मान लेते हैं.

इसका मुख्य कारण है अपने ऊपर भरोसा न होना, अपनी शक्तिओं पर भरोसा न होना, अपने काम पर भरोसा न होना. दोस्तों जो लोग कहते हैं कहने दीजिये लोगों का काम है कहना, अपने आप पर भरोसा रखें, अपने आप को पहचाने. दोस्तों अगर जीत निश्चित हो तो कायर भी लड़ जाते हैं , बहादुर वो कहलाते हैं, जो हार निश्चित हो, फिर भी मैदान नहीं छोड़ते! 






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