". विधवा स्त्री....a painful journey of woman

विधवा स्त्री....a painful journey of woman




विधवा यह शब्द सुनने में जितना बुरा है उससे भी कहीं ज्यादा बुरा है उन औरतों के साथ में होने वाला सलूक और दुर्व्यवहार जो उनका पति नहीं है यह कहकर उनके साथ किया जाता है 


एक स्त्री के पति के नहीं होने पर उसे जो दिन प्रतिदिन प्रताड़नाये और कटु शब्दों को सहना पड़ता है वह सारी बातें सोच कर ही मन क्रोध से भर उठता है यह कड़वा सच हमारे और आपके आस पास होने वाले व्यवहारों से ही संबंधित है अभी कुछ दिन पहले की बात है 


मेरी रिश्तेदारी में एक भाई साहब जी जिनकी उम्र यही कोई 30 से 35 रही होगी उनका एक बेटा भी है और उनकी पत्नी का देहांत हो गया मैं वहां के माहौल को देखकर बहुत दंग थी यह क्या जिस व्यक्ति की पत्नी का देहांत हुआ था वह तो शांत और दुखी मन से बाहर बैठा था पर वहां  अाई कुछ औरतें और दूर की रिश्तेदारी की महिलाएं बाहर रोने धोने का दिखावा करने के बाद में घर के भीतर आते ही लड़के की मां से कुछ इस ..........

तरह बहन जी जो हुआ बहुत बुरा हुआ अभी कोई उम्र थी भला जाने की पर अगर आप ही ऐसे टूट जाएगी तो क्या होगा आपके बेटे का और फिर क्या था दे दी उन्होंने 2 ऐसी ही लड़कियों के रिश्तो के सुझाव 

अब जो हुआ सो हुआ अब आपको अपने बेटे के बारे में सोचना होगा वो पूरी जिंदगी  अकेला  तो  रहेगा नहीं ना......

 इसीलिए अब इस दुख को अब परे रखते हुए मेरी मानिए तो थोड़ा समय बीतने दीजिए और उसकी शादी मेरे दूर की रिश्तेदार की बिटिया से करवा दीजिए वह गरीब है ज्यादा कुछ दे नहीं पाएंगे पर आपका घर भी भर जाएगा और आपके लड़के की जिंदगी में जो अधूरापन आया है वह भी पूरा हो जाएगा अब आप तो जानते ही हैं आदमी जात है कब तक अकेला रहेगा आज नहीं तो कल उसे भी जरूरत होगी किसी औरत की किसी साथी की क्योंकि पूरा जीवन तो अकेले कटने से रहा यह बात लड़के की मां के दिमाग में अच्छी तरह बैठ चुकी थी और वह यह समझ चुकी थी कि कुछ महीने बीतने के बाद उसे अपने बेटे की दूसरी शादी की तैयारी करनी होगी और यही हुआ 1 साल बीतने के बाद उसने अपने बेटे की शादी उन्हीं दूर के बताए हुए रिश्तेदार की बिटिया से करवा दी ।


यह तो बात में एक पुरुष की पत्नी के मर जाने पर क्या व्यवहार हुआ उसके साथ में चलिए अब जान लेते हैं उसी दो मुंहे सांप के दूसरे पहलुओं के बारे में यह बात भी कुछ खास पुरानी नहीं है

 एक गांव में एक महिला जिनकी शादी को अभी सिर्फ 3 साल हुए थे और उनका एक छोटा सा बेटा भी है उनके पति एक रोड एक्सीडेंट में नहीं रहे जो तकलीफ और जो दर्द वह महिला जिसने अपने पति को खो दिया है वह महसूस कर रही थी वह कोई और नहीं कर सकता है लेकिन फिर क्या था वही पुरानी औरतों की कानाफूसी और दकियानूसी वाली बातें बेटा भगवान पर भरोसा रखो तुम्हारा एक बेटा है पूरा जीवन तुम्हें इसी के सहारे काटना होगा भगवान का नाम लो पूजा पाठ करो क्या करें जो हुआ बहुत बुरा हुआ पर कब तक रोती रहोगी भगवान का धन्यवाद दो कि उन्होंने तुमको एक बेटा दिया है अब जो कुछ भी है यही है तुम्हारा 😠😠😠😠

गालियां निकलती है ऐसे समाज और ऐसी औरतों के लिए अरे क्यों है बेटा उसका सहारा जो बातें आपने और आपके समाज ने उस पुरुष की पत्नी खत्म होने पर क ही थी कि वह पूरा जीवन अपना अकेला नहीं काटेगा उसे जरूरत है किसी सहारे की......

 क्यों जरूरत नहीं है  स्त्री को सहारे की क्यों नहीं आपने उससे कहा कि बेटा परेशान मत हो मेरे दूर के रिश्तेदार में एक लड़का है मैं तुम्हारा उससे गठबंधन करवा दूंगी तुम्हारा जीवन आराम से कट जाएगा लेकिन उसको ज्ञान दिया जा रहा है कि भगवान के नाम के भरोसे पूरा जीवन काटो। क्यों पुरुष क्यों नहीं काट सकता है अपना पूरा जीवन भगवान के नाम के भरोसे उसे क्यों जरूरत है  औरत और 1 साथी की नफरत होती है मुझे ऐसे समाज से ऐसे लोगों से क्यों स्त्री को आप लोग यह ताने देते हैं अब तुम्हें कोई सिंगार नहीं करना चाहिए कोई रंगीन कपड़ा नहीं पहनना चाहिए, क्यों रंगीन कपड़ा पहन लेगी तो वह पाप हो जाएगा यह किस समाज में सारी बातें बनाई गई है जो पुरुषों के लिए अलग है महिलाओं के लिए अलग है और उसकी पत्नी खत्म होने पर वह तो रंगीन कपड़े पहनता है वह तो हंसता है गाता है घूमता है फिरता है सब करता है पर एक औरत का पति नहीं होने पर उसको क्यों बोला जाता है कि अब तुम एक बंद कमरे में रहो सफेद कपड़े पहनो ज्यादा हंसो नहीं ज्यादा बोलो नहीं क्यों क्या उसमें भावनाएं नहीं है
या उसके  अंदर जीवन जीने कि चाह नहीं है अगर उसका पति उसके साथ में नहीं है तो इसमें उसकी क्या गलती है जितनी जिसकी जिंदगी भगवान ने बनाकर भेजी है वह उतने ही दिन तक तो यहां पर रहेगा इसमें उसको ताने क्यों देना ,

वाह रे दो मुंहे समाज अगर यही है समाज के घटिया नियम घटिया बातें तो मुझे नहीं मानने ऐसे नियम मुझे नहीं बर्दाश्त करनी है ऐसी बातें जो स्त्री और पुरुष के लिए अलग-अलग है सारी भावनाएं सारी इच्छाएं सिर्फ पुरुष की और महिला भगवान भरोसे कहां से आते हैं ऐसे जहर से भरे हुए लोग भगवान ना करे खुद की बेटी के साथ में कभी ऐसा हो जाए और उसको भी पूरा जीवन उन्हें अपने घर में बैठा ना पड़ जाए तो क्या वह सहन कर पाएंगे अपनी बेटी की उस तकलीफ को जो दिन के दिन वह  अपने आपको पहुंचाती है क्या खत्म कर पाएंगे अपनी बेटी की यादों को जो उसने अपने पति के साथ बिताए होंगी तो ऐसे में जरूरत है उन लोगों को अपनी सोच बदलने की जो यह सोचते हैं कि पुरुष की पत्नी खत्म होने पर वह अपना जीवन आगे फिर से शुरू कर सकता है पर स्त्री का पति नहीं होने पर उसे सिर्फ भगवान के हवाले खुद को सौंप देना चाहिए या एक बच्चा होने पर पूरा जीवन उसको दे देना चाहिए ।

आप फिल्मी हीरो हीरोइन को देखते होंगे उनके तो पति भी होते हैं पत्नी भी होती हैं लेकिन फिर भी वह उन्हें छोड़कर बड़े आराम से किसी और के साथ में रहने लगते हैं और आपको कोई एतराज भी नहीं होता है तब आप क्यों नहीं कहते हैं यह गलत किया तब आपका कहना यही होता है इसी समाज का कहना यह होता है कि भाई बड़े लोग बड़ी बातें हैं और सही भी है एक ही तो जिंदगी है जी रहे हैं अपनी जिंदगी वह जिंदगी जी रहे हैं क्योंकि वह पैसे वाले हैं 
और एक सामान्य वर्ग से आई महिला जिसका पति नहीं रहा है उसको आप लोग एक सामान्य जिंदगी भी जीने नहीं देते हैं वही महिला जब कहीं बाहर निकलती है तो आप जैसे लोग ही उसको ऐसी नजरों से देखते हैं जैसे वह अभी अभी अपनी सजा पूरी करके जेल से आई है सांत्वना और सहानुभूति के नाम पर आप उसे कभी यह नहीं कहते हैं कि जीवन बहुत बड़ा है तुमको भी अपनी जिंदगी आगे फिर से शुरू करनी चाहिए आप उसे कहते हैं कि बेटा भगवान पर भरोसा रखो तुम्हारा बच्चा ही तुम्हारा सहारा बनेगा मन तो करता है ऐसी बातें बोलने वालों को भगवान के पास पहुंचा दूं 

खैर ईश्वर सद्बुद्धि दे ऐसे दोगले लोगों को दोगले समाज को मेरा मानना है स्त्री हो या पुरुष सब को जीने का बराबर का अधिकार है अगर कोई स्त्री अपने पति को खो देती है तो इसमें उसका कोई दोष नहीं है उसको भी अधिकार है कि वह अपना जीवन फिर से शुरू कर सकती है यदि उसकी इच्छा है तो मैं नहीं मानती समाज के घटिया नियमों को।





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