". गणपति विसर्जन और मान्यता...

गणपति विसर्जन और मान्यता...

 


गणपति महोत्सव सभी लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं मुंबई और महाराष्ट्र में इस पर्व का विशेष महत्व देखने को मिलता है पर धीरे-धीरे गणपति जी अब आपको प्रत्येक गली मोहल्ले में स्थापित और विराजमान मिलेंगे और लोग पूरे श्रद्धा भक्ति से उनके विसर्जन होने तक उनकी पूजा पाठ करते हैं हमारे यहां वैसे तो जितने भी धार्मिक पर्व है सब में ही हिंदू बढ़-चढ़कर अपना योगदान देते हैं और यथासंभव दान भी करते हैं गणपति महोत्सव भी एक ऐसा ही शानदार और हिंदुओं के द्वारा मनाया जाने वाला धार्मिक उत्सव है जिसमें लोग अपने घरों में या कुछ लोग घरों के बाहर एक बड़े से पंडाल में गणपति जी को पूरे विधि विधान के साथ में स्थापित करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना भोग आदि लगाकर उन्हें खुश करते हैं 



 धार्मिक ग्रन्थों के मुताबिक श्रीवेद व्यास जी ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्रीगणेश को लगातार दस दिन तक सुनाई थी। जिसे श्रीगणेश जी ने अक्षरश: लिखा था। दस दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोलीं तो पाया कि दस दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है। ऐसे में वेद व्यास जी ने तुरंत गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था। तब से ये मान्यता हो  गई और उनकी स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है।

इसी कथा में यह भी वर्णित है कि श्री गणपति जी के शरीर का तापमान ना बढ़े, इसलिए वेद व्यास जी ने उनके शरीर पर सुगंधित सौंधी माटी का लेप किया। यह लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई। माटी झरने भी लगी, तब उन्हें शीतल सरोवर में ले जाकर पानी में उतारा। इस बीच वेदव्यास जी ने दस दिनों तक श्री गणेश को मनपसंद आहार अर्पित किए। तभी से प्रतीकात्मक रूप से श्री गणेश प्रतिमा का स्थापन और विसर्जन किया जाता है और दस दिनों तक उन्हें सुस्वादु आहार चढ़ाने की भी प्रथा है।


उसके अलावा यह भी मान्यता है की गणपति विसर्जन के समय सभी लोग अपनी अपनी मनोकामना ओं को गणपति जी के कानों में कहते हैं जिसकी वजह से गणपति जी के कान गरम हो जाते हैं और अंततः आपकी मनोकामनाएं  को पूरा करने और अपने संकट को खत्म करने की मान्यता के साथ में उन्हें बहते जल में विसर्जित कर दिया जाता है कुछ लोग तो अपने घरों में ही एक पानी का टैंक बना कर उसमें ही गणपति जी को विसर्जित कर देते हैं क्योंकि उनका मानना है की जिस प्रकार हम आदर और सम्मान के साथ में गणपति जी को अपने घर में विराजमान करते हैं उसी आदर भाव और स्वच्छता के साथ ही उनको विदा भी करेंगे इसका एक कारण यह भी है कि

आजकल जिस प्रकार तालाब और नदियों में गंदगी का भरमार पाया जाता है इस को देखते हुए वह गणपति जी को अपने घरों में ही एक बड़ा सा पानी का टैंक बनाकर उसमें ही प्रवाहित कर देते हैं खैर तरीका चाहे जो भी हो मन में श्रद्धा भक्ति और भाव का होना बहुत ही आवश्यक होता है इसी के साथ गणपति जी आप सबकी मनोकामनाएं पूरी करें।






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