". (पुरुषों का श्रंगार )A man with makeup

(पुरुषों का श्रंगार )A man with makeup

अब आपको लगेगा कि पुरुषों का श्रंगार भी होता है क्या?

श्रंगार तो केवल महिलाएं करती है ये सरी चीजे सिर्फ स्त्रियां ही के सकती है।जी बिल्कुल महिलाएं ही श्रंगार करती है क्योंकि

इसकी आवश्यकता महिलाओ को ईश्वर ने ज्यादा दी है।

पुरुष तो स्वयं ही श्रंगार के गुड़ों से परिपूर्ण है

भला वो कैसे.........?


ईश्वर ने पुरुष को बिना कोई सौंदर्य प्रशाधन के ही सुन्दर बना दिया । जैसे मोर - सबसे सुंदर पक्षी जिसकी  रंग बिरंगी काया देखकर कोई भी मोहित हो जाय



ऐसी अदभुत सुंदरता और छवि कि कोई बिना देखे ना रह पाए और उस पर बारिश के समय जब मोर अपने पंखों को खोलकर नृत्य की अवस्था में आता है ये दृश्य जिसने देखा होगा वहीं समझ पाएगा इसकी महत्वा को।जब भी बात करे सुन्दर पंक्षी की तो बिना कुछ कहे मोर ही मन में आता है मोरनी नहीं ।


उसी तरह एक पुरुष जो सारी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पूरा जीवन अपने परिवार को दे देता है।

और उस पर भी वह स्त्री की भांति रो नहीं सकता वरना समाज की नजरो में कमजोर कहलाएगा।सहनशीलता का ऐसा पर्याय जिसको समाज ने बस कुछ चंद बातो के कठघरे में खड़ा कर दिया


तूम मर्द हो फिर भी रोते हो".................................

वह हर परिस्थिति में खुद को मजबूत बताता रहा ताकि किसी को यह ना लगे कि वह कमजोर है

क्या कभी किसी पुरुष को तकलीफ़ नहीं होती होगी जब उसका कोई अपना दूर होता होगा,या उसको जब मानसिक रूप से कुछ बाते परेशान करती होगी तो उसका मन नहीं करता होगा कि वह भी स्त्री की तरह फुट फुट के रो ले और अपने मन को हल्का कर ले।

क्यों नहीं कर सकता सिर्फ इस लिए क्योंकि वह एक पुरुष है

हमेशा सुना होगा कि स्त्रियों में सेहंशीलता अधिक होती है परन्तु पुरुष भी इस गुड से वंचित नहीं है।


एक बादल कि तरह अपने परिवार को हमेशा ढके रहना,एक छत की तरह हर तूफान से अपने परिवार की रक्षा करना,किसी भी स्थिति में यह नहीं जाहिर करना की वह परेशान है,और बच्चो की हर सिफारिशों पर (लेकर दूंगा तुमको ) कहना,खुद भले किसी त्योहार पर नए कपड़े ना पहने पर अपने बच्चो की 

हर चीज की व्यवस्था करना


 ,स्त्री कितना भी घर को संभाल के चलाए पर एक समझदार पुरुष के बिना भी घर नहीं बनता,


बेशक स्त्री सब कुछ बड़ी समझदारी से संभाल लेती है।पर बिना व्यवस्थित पुरुष के यह भी आसान नहीं।

शायद इसीलिए दोनों ही एक दूसरे के पूरक :


जितनी खुशी एक स्त्री को होती है मां बनने की इतनी ही एक पुरुष को पिता बनने की होती है।और साथ ही साथ होती है उस बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए चिंता भी।पुरुष बिना कुछ कहे अपने सारे कार्यों का निर्वहन करते रहते है और साथ ही साथ घर में चल रहे घरेलू दो द्वंद को भी संभालते हैं।

वो एक पुरुष ही होता है जो अधिकतर परिस्थिति में स्वयं को शांत कर अपनी पत्नी की बातो को सुनकर उस सही होने का अहसास कराते है।


एक पुरुष ही कितनी बार कुछ अच्छा नहीं भी बनने पर बिना कुछ कहे उसको खाकर भी अपनी भूख शांत करके से जाते है

और कितनी बार पत्नी कि तबीयत खराब होने पर मुझे आज भूख ही नहीं है कहकर बात टाल देते है।

अगर सीता जी की साथ उनके राम नहीं होते पुरुषार्थ जैसे सुन्दर गुडो के साथ तो वह कैसे रह पाती उनके साथ वन वन 

माना सीताजी ने भी कम नहीं किया अपने धर्म का पालन पर दोनों साथ थे तो रह गए और सेह गए।स्वयं श्रीकृष्ण सहनशीलता का सबसे बड़ा पुरुष उदाहरण है,जो राधा के विवाह में स्वयं को उनसे दूर जाते देख रहे थे,वो राधा जिनके बिना वो आज भी अधूरे है

हर बार एक पुरुष ही गलत नहीं होता कभी कभी महिला भी गलत हो सकती है,और हर बार महिला गलत नहीं होती सब फर है समझदारी का और नैतिक मूल्यों का किसके को से गुड है

और कौन अपनी शक्ति को कैसे प्रदर्शित कर रहा।

रावण शक्तिशाली था परन्तु अभिमानी ,कंश राजा था परन्तु क्रूर

सब्री गरीब महिला थी कितनी दयालु और शुद्ध मन कीये पुरुष की सुंदरता ही है मन की सुंदरता जो एक स्त्री को ये एहसास कराते है कि मेरे होते हुए तुम सुरक्षित हो तुमको कोई परेशानी नहीं होगी कभी।

इसीलिए मेरे अनुमान में पुरुषों को किसी दिखावटी सुंदरता की जरूरत नहीं वो खुद में परिपूर्ण है















 

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