". मिट्टी की एक गुल्लक

मिट्टी की एक गुल्लक


 मिट्टी की गुल्लक आप सब ने जरूर कभी ना कभी ली होगी और लोहे के छोटे छोटे सिक्के भी उस में डाले होगे।जब मै छोटी थी तो मुझे भी बड़ा शौक था मै अपने ढेर सारे सिक्केे उस में डालतीी।

 मुझे उसकी खनखन की आवाज बहुत ही पसंद थी मैं दिन में 10 बार अपनी गुल्लक को देखती और उसकी खनखन की आवाज को सुनकर खुश हो जाती थी वह गुल्लक किसी तिजोरी में नहीं एक कमरे में सबके सामने रखी रहती थी मैं स्कूल जाती और बिल्कुल भी चिंता नहीं करती कि कोई मेरे पैसे चुरा लेगा क्योंकि मुझे यकीन था कि मेरे पैसे उस मिट्टी की गुल्लक में महफूज रखे हैं और जब तक वह गुल्लक है तब तक वह पैसे भी सुरक्षित हैं शायद मैं छोटी थी इस वजह से मेरी सोच भी मासूम थी 
 पर अब तो तरह-तरह की गुल्लक आने लगी हैं।


रंग बिरंगी बैंक की शेप की और उसमें ताला लगाने की सुविधा भी उपलब्ध होती है मैं भी लाई थी एक ऐसी गुल्लक पर उसकी जिंदगी बहुत ज्यादा दिन तक नहीं थी क्योंकि चाभी भी थी पास में तो ना चाहते हुए भी जरूरत पड़ने पर ताला खोल कर उससे पैसे निकाल लिए जाते थे
 इस तरह बार-बार खोलने बंद करने से उसका ताला ही टूट गया था वह मजबूत लोहे की अच्छे से रंगी हुई बेशक थी पर उसमें वो बात नहीं थी जो उस मिट्टी की गुल्लक में थी

एक बहुत बड़ी सीख मिली है मुझे उस मिट्टी की गुल्लक से कि कभी कभी कमजोर चीजें भी हिफाजत करने के लिए सबसे बेहतर विकल्प होती हैं जैसे मेरी मिट्टी की गुल्लक मेरे लोहे के सिक्कों और नोटों को सुरक्षित रखती थी मुझे पूरा यकीन था कि उससे कोई भी मेरे पैसे निकाल नहीं पाएगा क्योंकि वह मिट्टी की गुल्लक जब तक टूटेगी नहीं तब तक पैसे भी नहीं निकल पाएंगे क्योंकि उसमें कोई ताला और चाबी मौजूद नहीं थे हां कुछ लोग चिमटी से या  किसी और तरह की जुगाड़ से पैसे निकाल लेते भी होंगे पर उसमें भी बहुत मेहनत लग जाती थी

तो देखा जाए तो लोहे की तरह मजबूत होना सुरक्षा की गारंटी नहीं होती  है क्योंकि लोहा भी बिना लकड़ी के अधूरा होता है अगर किसी चीज को काटने के लिए कुल्हाड़ी का इस्तेमाल करा जाता है तो कुल्हाड़ी में लोहे के बाद के पीछे का हिस्सा लकड़ी का ही होता है और तब वह कुल्हाड़ी बनती है काटने के लायक एक धारदार औजार बिना उस लकड़ी के कुल्हाड़ी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा।

 मैं इस छोटी सी कहानी में यह बताना चाहती हूं की कभी भी किसी कमजोर और गरीब को देखकर उसकी क्षमताओं का अंदाजा ना लगाएं चीजें और व्यक्ति हमेशा किसी ना  किसी  के काम जरूर आते हैं 
जैसे पानी अगर गंदा होता है तो वह आपकी प्यास नहीं बुझाएगा तो आग बुझाने के काम जरूर आ जाएगा उसी तरह से हर इंसान अपने आप में अलग और अद्भुत है कभी भी किसी की गरीबी अमीरी जात पात को देखते हुए उसका मूल्यांकन ना करें।


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