". Modification of words( power of word)

Modification of words( power of word)

शब्दों का फेर बहुत ही विचित्र खेल है,ये शब्द ही होते है जो सीधे साफ बोले  जाए तो कभी तकलीफ देते है तो घुमा फिरा कर बोले जाय तो बात का मतलब ही बदल देते है 

कभी सुनने में अच्छे तो कभी जहर जैसे  लगते है ये शब्द इसीलिए शायद हर बड़ा बुजुर्ग कहता है कि तोल- मोल कर बोल क्योंकि ये शब्द किसी शस्त्र से कम प्रहार नहीं करते,हम चाहे तो अपनी भाषा के प्रभाव से किसी को भी अपना बना ले पर इसी भाषा के दुरप्रयोग से किसी अपने को पराया,

ऐसे ही होते है ये शब्द ,लोग कभी कभी एक छोटी बात कहकर आपको बहुत गहरी बात समझा देते है और कभी कभी कोई बड़ी बड़ी बाते कहकर भी अपनी बात को नहीं समझा पता है ठीक उसी तरह हम दैनिक जीवन में अपने बच्चो अपने परिवार को बहुत कुछ बोल देते है और ये कड़वे शब्द ही बने बनाए रिश्ते में दरार पैदा कर देते है

हमें लगता है कि हमने तो बस गुस्से में बोला था पर मेरा मतलब वो नहीं था यकीनन नहीं होगा आपका मतलब पर शब्दों के घाव जल्दी नहीं भरते और भर भी गए तो कहीं ना कहीं निशान जरूर कर देते है 

मै हमेशा उन शब्दों और उस व्यवहार से खुद को दूर रखती हूं जो मेरे लिए भी गलत है और मुझे भी पसंद नहीं है,



सारा खेल इन बातो और उनमें प्रयोग हुए शब्दों का ही है।आपको एक उदाहरण देती हूं,



कभी आप से किसी ने कहा होगा कि आज जल्दी कैसे आना हुआ इसका मतलब या तो ये है को रोज आप देर से जाते थे या यह की आज आप रोज की अपेक्षा जल्दी आए,पर समझने वाले ने समझा कि आप रोज देर से आते थे इसीलिए ऐसा कहा गया,

एक और सच्ची घटना बताती हूं, मैंने एक ऐसे लड़के को देखा जो देखने में बहुत ही सीधा साधा सा था,वो एक अच्छी जगह पर नौकरी भी करता है,एक बार स्टाफ कि रोज की अटेंडेंस के बाद को कॉलम भरे जाते थे,


 उनमें एक कर्मचारी ऐसा भी था जो आए दिन पी कर जाता था, तो उसके कॉलम के आगे ये दिखाना पड़ता था कि आज वह सामान्य था या  नहीं, 

पर जो कॉलम को भरता था उससे गलती से  उस लड़के के नाम के आगे लिख दिया , कि आज ये पीकर नहीं आया,ये रिपोर्ट रोज इंक्वायरी ऑफिस को जाती थी,रिपोर्ट देखने के बाद उस लड़के  को बुलाया गया तो वह आश्चर्य से देख रहा था स्टाफ के अन्य कर्मचारियों की प्रतिक्रिया को,आज नहीं पी कर आए का मतलब वह अन्य रोज दिन पीकर आता था,

उसके लिखे शब्दों और जरा सी गलती कि वजह से उसे काफी  मुश्किल का सामना करना पड़ा,खैर कुछ जांच के बाद ये मामला खत्म हो चुका था,

पर ये शब्द उस के मन पर कहीं ना कहीं छाप छोड़ चुके थे,

इसीलिए कुछ भी बोलने के पहले एक बार सोचे अवश्य क्योंकि आपकी भाषा आपको किसी से दूर भी कर सकती और किसी के करीब

क्योंकि वह कहावत है,ना कि मीठा बोलने वाले का जहर भी बिक जाता है,और कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता।













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