". Side effects of online classes

Side effects of online classes





 आजकल बीमारी के प्रकोप के चलते हर कार्य ऑनलाइन हो चुका है फिर वो आपका ऑफिस का काम हो या कोई मीटिंग या फिर हमारे बच्चों की क्लासेस हो।

ऑनलाइन कि हो ये जो दुनिया है ये बहुत ही कठिनाइयो से भरी हुई है तमाम तरीके के टेक्निकल ज्ञान के बाद भी कुछ कुछ ना रह ही जाता हैं दिन ब दिन पूरी दुनिया इस टेक्नोलॉजी कि दौड़ में बराबर कदम से कदम मिला रही है परन्तु देखने में आकर्षक लगने वाली इस दुनिया की कुछ कड़वी सच्चाई भी जिन्हें नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

देखिए आप सब जानते होगे कि साल २०२० corona जैसी गंभीर बीमारी के चलते बहुत सी कार्यशालाएं प्रवाभित हुई है कोई भी क्षेत्र इस से अछूता नहीं रह पाया जिसमें आती है बच्चो कि पढ़ाई ,एक बहुत ही संवेदनशील विषय क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस ने जो प्रभाव डाले वो बच्चो के मानसिक तनाव का एक बहुत बड़ा कारण बन सकता है






एक नहीं ऐसी कई बाते है जो ऑनलाइन क्लास के बीच एक बच्चे और उसके परिवार को प्रवभित करती है जिसमें से आपने सुना ही होगा कि👇👇👇👇👇👇👇👇👇

लखनऊ के शहीद पथ पर स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल में ऑनलाइन लाइव क्लास के दौरान एक छात्र ने अश्लील वीडियो पोस्ट कर दिया. शिक्षक की शिकायत के बाद स्कूल प्रबंधन ने छात्र के अभिभावकों को उसकी हरकत की जानकारी दी. अभिभावकों के माफी मांगने के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने उस छात्र को ऑनलाइन लाइव क्लास से सस्पेंड कर दिया हैअब उस छा त्र का क्या मानसिक संतुलन रहा होगा यह आप उसकी इस गतिविधि के बाद समझ गए होगे कि किस प्रकार के विचारो से वह ग्रसित है और ग्रसित होने के पीछे भी ऑनलाइन चल रहे तमाम वेव साइट है

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इसी तरह गोरखपुर के एक मिशनरी स्कूल में कक्षा दस की छात्रा का मोबाइल नंबर कई व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने से उसके घर में हड़कंप मच गया. इस ग्रुप पर अश्लील संदेश भेजे जा रहे थे.  काफी  कोशिश के बाद घरवालों  ने ग्रुप को ब्लॉक कर पता लगाया तो मालूम हुआ कि स्कूल के कुछ छात्रों ने छात्रा का मोबाइल नंबर दूसरे लोगों को बांटा था. इन छात्रों को ऑनलाइन क्लास के जरिए छात्रा का मोबाइल नंबर मिला था. अब सोचिए की क्या मानसिक तनाव झेलना पड़ा होगा उस बच्ची को जिसके साथ यह हुआ

कहीं ना कहीं ये ऑनलाइन क्लास बच्चे के ध्यान को भी केंद्रित करने में परेशानी उत्पन्न करते है वो कितनी भी कोशिश कर के पर स्क्रीन पर चल रहे अन्य प्रकार के नोटिफिकेशन से  वो दूर नहीं रह पाते है ऐसे में या तो माता या पिता क्लास के समय तक वही उपस्थित रहे और अन्य कोई कार्य ना करे यही नहीं एक साथ लगातार स्क्रीन को देखने से भी बच्चो कि आंखो की रोशनी भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है आए दिन उन्हें आंखो में दर्द और धुंधला जैसे दिखने की परेशानियां आ रही है

बात यही नहीं रुकती बच्चो का शारीरिक विकास जो की एक सामान्य कक्षा में सारे स्टूडेंट्स के  बीच पढ़ने और खेलने पर होता था वो भी रुक चुका है क्योंकि बच्चे वैसे भी आजकल खेलने के नाम पर फोन में कुछ ना कुछ खेल कर खुद का मनोरंजन करने लगे है और ऐसे में ऑनलाइन क्लासेस यह हमारी विडंबना है कि हम अभी एक भयानक बीमारी के प्रकोप में है जिसके चलते यह प्रवाभ हम झेलने पड रहे है

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नतीजों का विश्लेषण किया गया तो शिक्षा का सबसे चिंताजनक पहलू सामने आया. ज्यादातर छात्रों ने बताया कि ऑनलाइन क्लास में सिर्फ श्रोता बन कर रह गए हैं.उन्हें क्या बताया हा रहा है उन्हें इससे मतलब ही भी रह जाता है और  ऑनलाइन  क्लॉस में अक्सर सवाल पूछने के मौके नहीं  होते हैं. ऐसे में सवाल पूछने की आदत छूटती जा रही है. छात्राओं के नंबर सार्वजनिक होने से अभिभावकों में सामाजिक सुरक्षा की भी चिंता सामने आई. करीब 50 फीसद छात्रों ने माना कि इंटरनेट की स्पीड ठीक न होने से भी पढ़ाई में दिक्कत आ रही है. स्पीड कम होने से वीडियो लेक्चर बार-बार रुक जाता है. इससे समझने में मुश्किल आती है. इस कारण का कोर्स छूट जा रहा है.

इसके अलावा घर में मोबाइल सेट की संख्या सीमित होने से भी बच्चों को दिक्कत हो रही है. कुछ परिवार में एक से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं. घरों में स्मार्टफोन एक ही है जबकि क्लास का समय दोनों बच्चों का एक ही है. ऐसे में यह भी एक दिक्कत है. इतना ही नहीं ग्रामीण इलाकों में बड़ी तादाद ऐसे छात्रों की भी है जिनके घरों में स्मार्टफोन नहीं हैं. विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग की प्रो. अनुभूति दुबे बताती हैं, “यह नई शिक्षा पद्धति है. ज्यादातर छात्रों ने माना कि विषयवस्तु समझ में नहीं आ रही है. इसमें निजता का भी खतरा है. छात्राओं के अभिभावक इसको लेकर ज्यादा चिंतित हैं.”यह एक बहुत ही सोचनीय मुद्दा बन चुका है ऐसे में ईश्वर से प्रार्थना है कि जल्द से जल्द सब सामान्य हो ताकि हमारे बच्चे भी जो सामान्य जीवन हमने जिया और खेला है वहीं वह भी महसूस कर पाए।



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