". Intresting story about our lord Kanha ji

Intresting story about our lord Kanha ji




जन्माष्टमी का मौका है और श्री कृष्ण से जुड़ी कथाएं और उनके किस्से सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं. लोग कृष्ण को जानते तो हैं, लेकिन क्या पहचानते भी हैं?  जब महाभारत में कृष्ण ने तोड़ा था अपना वचन...

किसी दोस्त को कहते सुना था कि श्री कृष्ण ने तो महाभारत की लड़ाई में कोई अस्त्र या शस्त्र उठाया ही नहीं. उन्होंने सिर्फ अर्जुन के सारथी बनने की बात स्वीकारी थी और पूरे युद्ध में अपने उपदेश दिए थे, लेकिन क्या ये वाकई सही है? इस बात के पीछे दो तर्क दिए जाते हैं. सबकी शुरुआत तब होती है जब दुर्योधन भीष्मपितामह पर गुस्सा दिखा रहा था. वजह ये थी कि एक भी पांडव नहीं मरा था.

अब भीष्म ने दुर्योधन को क्या उत्तर

दिया इसके बारे में भी दो कहानियां हैं. पहली कहानी के मुताबिक भीष्म गुस्सा होकर दुर्योधन को मंत्र पढ़कर 5 सोने के तीर देते हैं और कहते हैं कि उन्ही से कल पांडवों का अंत होगा. इसपर दुर्योधन तीर अपने पास रख लेते हैं. जब श्री कृष्ण को ये पता चलता है तो वो अर्जुन को दुर्योधन के पास भेजते हैं. कथाओं में ये किस्सा मशहूर है कि अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी और दुर्योधन ने अर्जुन को वचन दिया था कि वो उससे कुछ भी मांग सकता है. इसी में कृष्ण अर्जुन को दुर्योधन से पांच सोने के तीर मांगने को कहते हैं. दुर्योधन दे देता है. भीष्मपितामह इस बात से खफा हो जाते हैं और अर्जुन को मारने के लिए युद्ध करते हैं. भीष्म के आगे अर्जुन टिक नहीं पाते और गिर जाते हैं. उस समय श्री कृष्ण रथ का टूटा हुआ पहिया उठाकर भीष्म को मारने के लिए आगे बढ़ते हैं, हालांकि अर्जुन उन्हें रोक लेता है और बाद में भीष्म रथ से गिरकर तीरों पर गिर जाते हैं, लेकिन फिर भी कृष्ण हथियार उठा लेते हैं.

दूसरी कहानी में किस्सा वही है, लेकिन भीष्म दुर्योधन से वादा करते हैं कि वो द्रौपदी को विधवा बना देंगे पांचों पांडवों को मारकर. जब कृष्ण को इस बात का पता चलता है तो वो द्रौपदी को भीष्म के पैर छूने को कहते हैं बिना ये बताए कि वो कौन है. द्रौपदी ऐसा करती है और भीष्म उसे सदा सुहागन रहने और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं. जब उन्हें सच का पता चलता है तो वो कृष्ण से खफा हो जाते हैं. उस समय कृष्ण कहते हैं कि आपका वचन मेरी वजह से टूटा तो मेरा वचन भी आपकी वजह से टूटेगा. और इसके बाद ही अर्जुन को बचाने के लिए वो रथ का पहिया उठाते हैं.

2. श्राप के कारण हुई थी कृष्ण की मृत्यु...

महाभारत की लड़ाई में गांधारी के 100 पुत्रों की मृत्यु हो गई थी. जब श्री कृष्ण गांधारी के पास पहुंचे तो दुखी गांधारी ने उन्हें श्राप दिया कि 36 सालों में वो मारे जाएंगे और उन्हीं के साथ यदु वंश का विनाश हो जाएगा. श्री कृष्ण ये जानते थे कि यदु वंश अब लोभ और मोह में आ गया है. इसलिए उन्होंने सिर्फ तथाअस्तु कहा. दूसरा श्राप मिला था ऋषि दुर्वासा से. दुर्वासा ऋषि ने अपने कृष्ण को अपने पूरे शरीर में खीर लगाने को कहा था. कृष्ण ने ऐसा ही किया सिर्फ उनके पैरों को छोड़ दिया. इससे खफा होकर दुर्वासा ने श्राप दिया कि कृष्ण अपने पैर की वजह से मरेंगे.

एक समय जब श्रीकृष्ण समाधी में थे तब एक शिकारी जारा ने कृष्ण के पैर को कोई जानवर समझ लिया और उनपर तीर चला दिया.

3. कृष्ण की 16,108 रानियां...

ये सभी को पता था कि कृष्ण की 16108 रानियां थीं और 80 बच्चे, लेकिन कृष्ण की सिर्फ आठ पटरानियां क्यों थीं? दरअसल, रुकमणी, सत्यभामा, जंबावति, नाग्नजीति, कालिंदी, मित्रवृंदा, भद्रा और लक्षमना ही कृष्ण की असली रानियां थीं. हर रानी से कृष्ण के 10 बच्चे थे. बाकी 16100 महिलाओं को कृष्ण ने एक राक्षस नरकासुर से छुड़वाया था और अपने-अपने घर भेज दिया. किसी के घर वालों ने उन्हें नहीं अपनाया तो बाद में श्री कृष्ण ने उनसे शादी कर ली, लेकिन कभी कोई रिश्ता नहीं बनाया.,

4. क्यों कृष्ण हो गए अपनी ही सेना के खिलाफ...

महाभारत के युद्ध से पहले दुर्योधन और अर्जुन दोनों ही कृष्ण के पास मदद मांगने गए थे. जब दोनों पहुंचे तो कृष्ण सो रहे थे. कृष्ण के सिर के पास दुर्योधन खड़े हो गए और पैरों के पास हाथ जोड़कर अर्जुन. जब कृष्ण की नींद खुली तो उन्होंने अर्जुन को देखा और उसका साथ देने की बात कही. दुर्योधन इसपर खफा हो गए और कहा कि वो पहले आए थे और कृष्ण को उनका साथ देना चाहिए. इसपर कृष्ण ने कहा कि उन्होंने अर्जुन को पहले देखा है इसलिए दोनों की मदद करनी होगी. कृष्ण ने इसपर दुर्योधन को अपनी सेना दे दी और अर्जुन के सारथी बन गए ।






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