". जो हुआ अच्छा हुआ। everything happens for a reason

जो हुआ अच्छा हुआ। everything happens for a reason




कहतेहै जो होता है अच्छे के लिए होता है।अपने भी अक्सर किसी ना किसी के मुंह से सुना होगा कि परेशान नहीं होते है जो है अच्छा है और जो होगा वो अच्छा ही होगा आज कुछ ऐसी ही एक सच्ची घटना को जानते है जिसको जानकर मन में यह विश्वास आता है कि सच में ईश्वर ने हर बात के पीछे एक वजह भी बनाई है।



आज मैं जिस लड़के की कहानी आप को सुनाने जा रही हूं उसका नाम शेखर है|  शेखर को घूमने फिरने का बहुत शौक रहा है| नई जगह को देखना और नए लोगों से मिलना उसकी आदत में शुमार था|

स्नो ग्लाइडिंग(Snow gliding) उसका सबसे पसंदीदा शौक बन गया था| जिंदगी पूरी तरह से उसके हाथों में थी और वह जिंदगी को पूरी तरह से जी रहा था|

 

 

लेकिन फिर एक झटके ने अचानक उसकी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी|  शेखर को मैनिंजाइटिस हो गया जिसकी वजह से उसका बाया कान, किडनी और घुटनों के नीचे दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया था|

उसके परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल था| वे उस दिन को कोस रहे थे जब  शेखर ने लद्दाख जाने का फैसला किया था| काफी दिनों तक कोमा में रहने के बाद ज ब  शेखर को होश आया तो उसके दोनों पैर गायब थे| जो आदमी अपने पैरों से दुनिया नापने की ख्वाहिश रखता हो उसके पैर ही नहीं रहे तो ऐसी जिंदगी का फिर कोई मतलब नहीं रह जाता है|

शेखर की जिंदगी कुछ ही दिनों में बदल गई| शेखर अब डिप्रेशन में चला गया और हर वक्त अपने अधूरे सपनों के बारे में सोचता रहता था| एक दिन अचानक उसने तय किया कि ऐसे कब तक चलेगा| उसने वापस से जीवन को नए सिरे से जीने का फैसला किया| डॉक्टरों की मदद से उसने प्रोस्थेटिक पैर लगवाएं और फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया|

जब भी कोई उससे पूछता तो वह केवल एक ही बात कहता:- जिंदगी में जो होता है अच्छे के लिए होता है|

मेरे साथ यह होना भी जरूरी था क्योंकि मेरा सपना था कि मैं दुनिया घूमूं और स्नो ग्लाइडिंग का अपना शौक पूरा करूं| लेकिन मेरे पैर जवाब दे देते थे, खासकर ज्यादा ठंड में अकड़ जाते थे| खून जमने लगता था लेकिन अब मेरे पैर रबर के हैं|

मैं जितनी देर तक चाहूं बर्फ में रह सकता हूं और सिर्फ यही नहीं अब मुझे अपने जूतों के साइज की भी चिंता नहीं| क्योंकि मेरे पास हर साइज के पैर जो मौजूद हैं|

अपने दोनों पैर खोने के बाद भी वह एक जिंदादिल स्नोग्लाइडर के साथ-साथ एक sports trainer भी बना जो देश के विकलांग लोगों को sports सिखाने का काम करता था|

अगर आप में आत्मविश्वास है तो बड़ी से बड़ी समस्या भी मामूली है|

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