". पढ़ा लिखा vs समझदार( educated fool or uneducated mature)

पढ़ा लिखा vs समझदार( educated fool or uneducated mature)




दुनिया में दो तरह के लोग होते है एक वो जो अगर अपने बच्चे के साथ कहीं जाते है और गलती से उन्हें कोई गरीब जो सड़क किनारे झाड़ू लगा रहा होता है उसको देखकर अपने बच्चे को कहते है 🙄👉उस गरीब सफाई वाले की तरफ उंगली दिखाते हुए की यदि पढ़ोगे नहीं तो ऐसे बन जाओगे ।🙏


और एक तरफ होते है वो लोग जो अपने बच्चे को उस सफाई वाले की तरफ 👉इशारा करते हुए ये कहते है की बेटा ये हमारे हेल्पर है और तुम्ह बड़े होकर पढ़ लिखकर इनके लिए कुछ बेहतर करना है उन्हें ये बताते है कि यदि ये हेल्पर ना हो तो सड़के साफ सुथरी नहीं रह पाएगी और बच्चो के मन में उस गरीब सफाई वाले के लिए सम्मान जाग्रत करते है ना कि उनके लिए  हेय नज़रे।

तो ये दो तरह के लोग होते है दुनिया में,एक वो जो दूसरे की गरीबी को नफरत कि नजरो से देखते है और दूसरों को उनके जैसे होने का श्राप देते है 

👉और दूसरी तरफ होते है वह जो किसी की तकलीफ में दुखी होते है और उनकी तकलीफ को कैसे कम किया जाय ये सोचते है।

यही अंतर होता है आजकल के पढ़े लिखे मूर्ख और अनपढ़ होशियार में,पढ़ा लिखा होना आपके समझदार होने की गारंटी नहीं होता।


मैंने काफी ऐसे पढे लिखे और डिग्री धारकों को देखा है जिनके पास कागजी ज्ञान तो बहुत हैं पर वो समझदार नहीं होते,उनकी भाषा में वो मिठास  और अपनापन नहीं होता जो कभी कभी आपको एक कम पढ़े लिखे व्यक्ति में मिल जाती है।

मैंने कई ऐसे पढे लिखे भी देखे जो रिक्शे  से कहीं जाते है तो रिक्शे वाले से ऐसे बात करते है जैसे वो समाज का हिस्सा ही नहीं है ।और पैसे देने के नाम पर इतना नहीं पड़ता किराया कहकर कम रुपए देकर चलते बनते है ।
और  यही पढ़े लिखे लोग मॉल जाकर १००० का पिज़्ज़ा खाकर चले आते है लेकिन एक गरीब मेहनत कस आदमी को २० रुपए देने में उनका पूरा बजट बिगड़ रहा था 

ये पढे लिखे लोग जब मॉल से सब्जियां लेते है कई कई दिनों तक रखी लिफाफों में पैक पड़ी सब्जियों को बड़े शान से दोगुना जयदा पैसे देकर खरीद कर  खुद को बड़ा गौरववांतित महसूस करते है ।पर यही सब्जियां बाहर ठेले से लेते वक़्त फिर उनका बजट बिगड़ जाता है ।
और वही एक सामान्य रूप से पढ़ा लिखा व्यक्ति उस रिक्शे वाले को ५ रुपए  अधिक देकर कहता है चाचा चाय पी लेना।
यकीन मानिए बड़ा सुकून मिलता है किसी ऐसे जरूरतमद को मदद करके जब वो आपको अपनी एक सच्ची मुस्कुराहट देकर आपको धन्यवाद देता है तो सही मायनों में हम इंसान है होने का अहसास हो जाता है।

कभी करिएगा किसी ऐसे व्यक्ति की मदद और देखिएगा कि आपको कैसा सुकून महसूस होगा उस दिन।
बेशक आप पढे लिखे कम हो पर आपका समझदार होना बहुत आवश्यक है।
डिग्री होना और उसका इस्तेमाल होना दोनों अलग चीजे है ठीक उसी तरह मनुष्य होना और मानवता का इस्तेमाल करना अलग
बड़े बड़े शोरूम में आपको डिस्काउंट और कुछ रुपयों की कमी चलते भले आपको अपनी पसंद के वस्तुएं छोड़नी पड़ी हो पर छोटी दुकानों पर आपने यही सुना होगा कि भाई साहब ले जाए आप समान बाकी के  पैसे बाद ने दे दीजिएगा ।
पहले के लोग पढ़ेवलिखे कम पर समझदार बहुत होते थे और आदमी पढ़ा लिखा अधिक और मूर्ख अधिक हो चुका है
जैसे हमारी माए ही देखिए वो अधिक नहीं पढ़ी लिखी थी पर समझदार बहुत है इसी लिए उनने आज हम समझदारी के साथ पढ़ाया और लिखाया और एक लायक इंसान बनाया ।
तो आप क्या है ..........???

बस यही अंतर होता है आजकल के पढे लिखे मूर्ख और काम पढे लिखे समझदार में।












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